अतीत के पृष्ठों में जुड़ गया
एक और अध्याय
उजली और स्याह
इबारतों में कैद होकर
बदलती हैं तारीखें हर रोज
देती हैं हमें न्यौता
अवसरों को भुनाने का
नई सुबह आती है रोज
खट्टे-मीठे अनुभवों से
रू-ब-रू कराने,
देती है सीख
मानवता को निबाहने का,
प्रेम बांटने का,
आंसू पौछने का,
मुस्कुराते रहने का,
ऊहापोह को छोड़
अपने पराए को अपनाने का
इसी तरह तो
जुड़ता हैं अतीत के पृष्ठों में
एक और अध्याय